उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के रुपई डीह गांव के एक ही परिवार के दस लोग मौनी अमावस्या के स्नान के लिए महाकुंभ गए थे. 47 वर्षीय ननकन अपनी पत्नी रमा देवी और दूसरे रिश्तेदारों के साथ रात साढ़े दस बजे ही संगम नोज पहुंच गए थे. ननकन के भतीजे जोखुराम ने बताया कि परिवार में ये तय हुआ था कि बारह बजते बजते मेला क्षेत्र से निकल जाना है और दो तीन बजे तक स्टेशन पहुंचकर कोई न कोई गाड़ी पकड़ लेनी है. किसी भी हाल में सुबह दस बजे तक अपने घर पहुंचना है. सबकुछ सही हो रहा था, हम लोग रात 11 बजे तक डूबकी लगाकर निकल आए थे और अब वापसी के लिए निकले ही थे कि अचानक से लोगों की बाढ़ आ गई.
पीछे से भी नहाकर वापस जाने वालों की भीड़ बढ़ गई. लोग चिल्लाने लगे लेकिन कोई पुलिस वाला या प्रशासन से जुड़ा व्यक्ति नहीं दिखा, जो मदद कर सके. स्थिति ऐसी हो गई कि न आगे जा सके, न पीछे लौट सके. भारी भीड़ में दब कर सत्तर-अस्सी लोग वहीं गिर गए. बीस से ज्यादा लोग वहीं मर गए थे उनमें से एक हमारे चाचा ननकन भी थे.
‘बस चाचा छूट गए’
जोखुराम ने कहा कि परिवार में बाकी सभी सुरक्षित हैं. बस चाचा का साथ छूट गया. चाची का रो-रोकर बुरा हाल है. चाचा के तीन बेटे हैं उनको हम क्या मुंह दिखाएंगे. उनकी डेड बॉडी लेने के लिए रुके हैं. यदि डेड बॉडी मिलने में देरी होगी तो महिलाओं को गांव वापस भेज देंगे. जोखुराम ने बताया कि बड़े बेटे राहुल की शादी हो चुकी है लेकिन अजय और विजय की शादी अभी चाचा को करनी थी.
उत्साह से बनाया था प्लान
ननकन ने बड़े उत्साह से अपनी पत्नी, भाई -भाभी, भतीजे और दामाद के साथ मौनी अमावस्या के स्नान की योजना बनाई थी. लेकिन ये विधि का लेखा देखिये कि परिवार के बाकी सभी लोग सुरक्षित हैं, लेकिन मौनी अमावस्या के स्नान की योजना बनाने वाला ही सदा के लिए मौन हो गया.