जम्मू कश्मीर के राजौरी जिले का बधाल गांव इन दिनों सुर्खियों में बना हुआ है. गांव में अज्ञात रहस्यमयी बीमारी के चलते अब तक 17 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें बच्चे भी शामिल है. इस बीमारी को लेकर लोगों में दहशत का माहौल है. रहस्यमय मौतों के कारणों का पता लगाने के लिए जीएमसीराजौरी, पीजीआई चंडीगढ़ और एम्स दिल्ली की टीमें राजौरी में डेरा डाले हुए हैं. इस बीच विष विज्ञान के विशेषज्ञों सहित एम्स दिल्ली के विशेषज्ञों की पांच सदस्यीय टीम अस्पताल पहुंची.
टीम शुक्रवार रात राजौरी पहुंची और सरकारी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) में मरीजों और उनके रिश्तेदारों से बातचीत की और इस पूरे प्रकरण के बारे में कई सवाल पूछे. टीम ने रहस्यमय बीमारी का इलाज करा रहे 11 मरीजों से मुलाकात कर उनके बारे में जानकारी ली. टीम ने उनसे पूछा कि जिस दिन वो लोग बीमार हुए थे उस दिन क्या खाया था. इसके साथ ही टीम गांव में लोगों के लिए बनाए गए विशेष शिविरों में भी गई. वहां उन्होंने लोगों से गांव की स्थिति और बीमारी के बारे में तथ्य जुटाने के लिए बातचीत की.
बधाल गांव का दौरा करेगी विशेषज्ञों की टीम
रविवार को टीम बधाल गांव का दौरा करेगी जहां बीमारी के कारण लोगों की मौत हुई थी. ये टीम सील किए गए घरों और आसपास के इलाकों से नमूने एकत्र करेगी. बताया जा रहा है कि नमूनों की जांच की जाएगी इसके साथ ही टीम अन्य ग्रामीणों से भी बात करेगी. टीम ने कुछ ऐसे मरीजों की भी जांच की जो निगरानी में हैं. सूत्रों ने बताया कि जीएमसी राजौरी के डॉक्टर विष रोधी दवा एट्रोपिन का इस्तेमाल कर 11 मरीजों का इलाज कर रहे हैं.
ये लोग टीम में शामिल
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक डॉ. एम. श्रीनिवास की अध्यक्षता वाली टीम में क्लिनिकल टॉक्सिकोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. ए. शरीफ, एनेस्थीसिया और क्रिटिकल केयर के अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ. शैलेन्द्र कुमार, इमरजेंसी मेडिसिन के अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ. जमाहेद नायर, बाल रोग विभाग के अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ. जगदीश प्रसाद मीना और क्लिनिकल टॉक्सिकोलॉजी के सहायक प्रोफेसर डॉ. जावेद कादरी शामिल हैं.
अब तक 3 परिवारों के 17 लोगों की मौत
इस बीच अधिकारियों ने बताया कि बधाल गांव में पिछले 9 दिनों में कोई नया मामला सामने नहीं आया है. गांव में 7 दिसंबर से 19 जनवरी के बीच तीन परिवारों के 17 लोगों की अज्ञात कारणों से मौत हो गई थी. लोगों को सुरक्षित करने के लिए 87 परिवारों के 364 लोगों को गांव से राजौरी के तीन अलग-अलग केंद्रों – सरकारी नर्सिंग कॉलेज, सरकारी बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय और सरकारी मेडिकल कॉलेज में स्थानांतरित कर दिया गया है.गांव में शेष 808 परिवारों, जिनमें 3,700 लोग शामिल हैं उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए गांव को 14 समूहों में विभाजित किया गया है और उनकी निगरानी 182 अधिकारियों की टीम कर रही हैं.