कानपुर: ‘पुलिस वाला है, इसे जान से मार दो’, दरोगा पर टूट पड़े खनन माफिया, पीडित को FIR दर्ज कराने में लगे दो दिन

R. S. Mehta
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कानपुर में खनन माफियाओं के हौसले कितने बुलंद है इसका उदाहरण तब देखने को मिला जब एक दारोगा की ही हत्या का प्रयास किया गया. दबंगों ने मामूली सी बात पर दारोगा की जमकर पिटाई की है. सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि गला दबाकर उसकी हत्या का प्रयास भी किया गया. सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि खुद पीड़ित दारोगा को मुकदमा दर्ज कराने में दो दिन लग गए क्योंकि आरोपी खनन माफिया थे. पुलिस का कहना है कि उन्होंने मामले की जांच शुरू कर दी है.

लोकल इंटेलिजेंस यूनिट(एलआईयू ) में तैनात दारोगा गौरव अत्री कानपुर के नवाबगंज स्थित केडीए सिग्नेचर ग्रीन अपार्टमेंट में रहते है. गुरुवार देर रात गौरव अपने रिश्तेदार सुधीर सिंह के साथ कार से अपार्टमेंट आए. उसी दौरान एक फॉरच्यूनर गाड़ी पीछे से आई और रास्ता ना मिलने की मामूली बात पर बहस शुरू हो गई. गाड़ी से उतरे चार-पांच लोगों ने पहले दारोगा से गाली गलौज की उसके बाद फोन करके अपने अन्य साथी बुला लिए और दारोगा का गला दबाकर हत्या की कोशिश की.

पुलिस ने समझौते का दबाव बनाया

आरोप है कि जब दारोगा के रिश्तेदार ने आरोपियों से बोला कि जिसको तुम मार रहे हो वह दारोगा है तो आरोपियों ने कहा फिर तो इसको जान से मार दो अगर यह बच गया तो हमको छोड़ेगा नहीं. इसके बाद पीड़ित दारोगा नवाबगंज थाने पहुंचे और मुकदमा दर्ज कराने के लिए तहरीर दी. दारोगा गौरव अत्री आरोप है कि उनका मुकदमा दर्ज करने की जगह पुलिस खुद उन पर समझौते का दबाव बना रही थी.

दबंगों पर दर्ज हुई FIR

यहां तक कि दबाव बनाने के लिए उनका शराब का मेडिकल टेस्ट भी करवाया गया. गौरव अत्री का मुकदमा जब नहीं लिखा गया तो वो आलाधिकारियों से मिले जिनके हस्तक्षेप के बाद शोभित दीक्षित, आर्यन श्रीवास्तव, अनुराग तिवारी, प्रखर समेत कई अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या के प्रयास समेत अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया गया है. हैरानी की बात यह है कि दरोगा को भी मुकदमा दर्ज कराने में दो दिनों का समय लगा. पुलिस ने इस बात से इनकार किया है कि पुलिस मुकदमा दर्ज करने में आनाकानी कर रही थी.

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