राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने सोमवार को तमिलनाडु हिज्ब उत तहरीर (एचयूटी) मामले में दो प्रमुख आरोपियों को गिरफ्तार किया है. आरोपियों की पहचान कबीर अहमद अलीयार और बावा बहरुदीन उर्फ मन्नै बावा के तौर पर हुई है. इन दोनों पर हिज्ब उत तहरीर के विचारधाराओं का प्रचार करने और गुप्त बयानों के आयोजन का आरोप है.
एनआईए जांच में पता चला है कि ये दोनों आरोपी कट्टर इस्लामी विचारधारा से प्रभावित थे और एक प्रदर्शनी के माध्यम से इस्लामी देशों की सैन्य ताकत को दर्शाने की योजना बना रहे थे. जिसका मकसद भारत सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए विदेशी ताकतों को आमंत्रित करना और हिंसक जिहाद छेड़ना था. दोनों आरोपियों से एनआईए पूछताछ कर रही है.
इस्लामिक राष्ट्र बनाना है मकसद
इससे पहले जांच एजेंसी ने छह आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था. एनआईए की जांच में खुलासा हुआ था कि हिज्ब उत तहरीर (एचयूटी) एक अंतर्राष्ट्रीय कट्टरपंथी संगठन है, जिसका मकसद इस्लामी खिलाफत की स्थापना करना और अपने संस्थापक तकी-अल-दीन-अल-नभानी द्वारा लिखे संविधान को लागू करना है. जांच में पता चला कि आरोपी इसी चरमपंथी विचारधारा से प्रभावित थे.
हिज्ब उत तहरीर सरकार ने लगाया बैन
भारत सरकार ने अक्टूबर 2024 में एक अधिसूचना जारी कर हिज्ब उत तहरीर (एचयूटी) और उसके सभी प्रमुख संगठनों पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) 1967 के तहत प्रतिबंध लगा दिया था. एनआईए अब इस मामले से जुड़े अन्य सह-साजिशकर्ताओं, अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क और फंडिंग स्रोतों की जांच जारी रखे हुए है.
पिछले साल अक्टूबर में एनआईए ने हिज्ब-उत-तहरीर (एचयूटी) मामले में प्रमुख आरोपी फैजुल रहमान को तमिलनाडु से ही गिरफ्तार किया था. एनआईए ने जुलाई 2024 में चेन्नई पुलिस से इस मामले की जांच अपने हाथ में ली थी. तब से एजेंसी लगातार जांच पड़ताल कर रही है. आतंकी संगठन हिज्ब-उत-तहरीर भारत में ही नहीं बल्कि कई पश्चिमी देशों में भी सक्रिय है. बताया जाता है कि भारत में ये संगठन अभी तक चार राज्यों में सक्रिय है.