प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा का जवाब दे रहे हैं. पीएम ने इशारों ही इशारों में दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि देश में घोटाले न होने से भी देश के लाखों करोड़ रुपए बचे हैं जो जनता जनार्दन की सेवा में लगे हैं. हमने जो अलग-अलग कदम उठाए उससे लाखों करोड़ रुपए की बचत हुई, लेकिन उन पैसों का इस्तेमाल हमने शीश महल बनाने के लिए नहीं किया.
पीएम ने कहा कि घोटाले नहीं होने से जो पैसे बचे हैं उसका उपयोग हमने देश को बनाने के लिए किया है. इसका अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि इन्फ्रास्ट्रक्चर का बचट पहले 1 लाख 80 हजार करोड़ का है. आज 11 लाख करोड़ रुपए इन्फ्रास्ट्रक्चर का बजट है. रोड हो, हाईवे हो, रेलवे हो, ग्राम सड़क हो, इन सभी कामों के लिए विकास की एक मजबूत नींव रखी गई है. सरकार खजाने में बचत हुई एक अलग बात है.
25 करोड़ देशवासी गरीबी से बाहर आए
इससे पहले प्रधानमंत्री ने कहा किहम 205 में है. एक तरह से 21वीं सदी का 25 फीसदी हिस्सा बीत चुका है. समय तय करेगा कि 20वीं सदी के आजादी के बाद और 25वी सदी के प्रथम में क्या हुआ, कैसे हुआ? सारे अध्ययन बार-बार ये कह चुके हैं कि 25 करोड़ देशवासी गरीबी को परास्त करके इससे बाहर आ गए हैं.
पांच-पांच दशक तक गरीबी हटाओं के नारे सुने, अब 25 करोड़ गरीब गरीबी को परास्त करके बाहर निकले हैं तो ऐसे ही नहीं निकले हैं. योजनाबद्ध तरीके से, समर्पित भाव और अपनेपन की पूरी संवेदना के साथ जब गरीबों के लिए जीवन खपाते हैं तब ऐसा होता है. जब जमीन से जुड़े लोग उसकी सच्चाई को जानते हुए जमीन पर जीवन खपाते हैं तब जमीन पर बदलाव निश्चित होके रहता है.
पक्की छत वाला घर मिलने का मतलब क्या होता, ये क्या जानें?
पीएम मोदी ने आगे कहा कि हमने गरीब को झूठे नारे नहीं, हमने सच्चा विकास दिया है. गरीब का दुख, सामान्य मानवीय की तकलीफ, मिडिल क्लास के सपने ऐसे ही नहीं समझे जाते हैं. इसके लिए जज्बा चाहिए. मुझे दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि कुछ लोगों में ये है ही नहीं. बारिश के दिनों में कच्ची छत, प्लास्टिक की चादर वाली छत, उसके नीचे जीवन गुजारना कितना मुश्किल होता है. पल-पल सपने रौंद दिए जाते हैं. ये हर कोई नहीं समझ सकता है. अब तक गरीबों को चार करोड़ घर मिले हैं. जिसने उस जिंदगी को दिया है उसे समझ होती है कि पक्की छत वाला घर मिलने का मतलब क्या होता है. एक महिला जब खुले में शौच जाने के लिए मजबूर होती है, वो या तो सूर्योदय के पहले या बाद कठिनाईयों के बाद एक छोटा सा नित्य कर्म करने के लिए निकली थी.