दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग जारी है तो उत्तर प्रदेश के मिल्कीपुर उपचुनाव के लिए भी मतदान चल रहा है. बीजेपी दिल्ली की सत्ता में 27 साल से चले आ रहे सियासी वनवास को खत्म करने के साथ-साथ मिल्कीपुर सीट जीतने की जुगत में है. वोटिंग के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज बुधवार को महाकुंभ में संगम स्नान किया तो दूसरी तरफ नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी दलित नेता जगलाल चौधरी की 130वीं जयंती पर हिस्सा लेने के लिए बिहार के दौरे पर आ गए.
पीएम मोदी महाकुंभ में डुबकी लगाकर हिंदुत्व का एजेंडा सेट करने का दांव चलेंगे तो राहुल गांधी बिहार से सामाजिक न्याय का नारा बुलंद करते नजर आएंगे. यह बात इसीलिए कही जा रही है कि पीएम मोदी ने स्नान की टाइमिंग जिस तरह के लिए माघ की अष्टमी का पुण्य काल को चुना है तो राहुल गांधी एक महीने में दूसरी बार बिहार का दौरे पर हैं. राहुल का यह दौरा सियासी तौर पर काफी अहम माना जा रहा है, क्योंकि जिस तरह से उन्होंने दलित, ओबीसी और मुस्लिमों को लेकर सामाजिक न्याय का नारा बुलंद किया है, उसके चलते कांग्रेस की रणनीति समझी जा सकती है.
कुंभ से हिंदुत्व के एजेंडा को देंगे धार
महाकुंभ से सियासी संदेश देने के लिए पीएम मोदी ने त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाई. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और दोनों डिप्टी सीएम भी उनके साथ थे. संगम में डुबकी की तारीख सियासी और आध्यात्मिक दोनों नजरिए से महत्वपूर्ण मानी जा रही है. 2014 के बाद से यह देखा गया है कि जब भी किसी राज्य या फिर लोकसभा चुनाव में वोटिंग का दिन होता है तो उस पीएम मोदी किसी न किसी धार्मिक स्थल पर गए होते हैं.
दिल्ली विधानसभा चुनाव के वोटिंग के बीच पीएम मोदी ने जिस तरह महाकुंभ जाने और संगम में स्नान किया है, उसका असर दिल्ली के चुनाव पर भी पड़ेगा. माना जा रहा है कि पीएम मोदी के इस डुबकी से बीजेपी के हिंदुत्व और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के एजेंडे को धार मिलेगी. ऐसे में पीएम मोदी ने करीब छह साल पहले 2019 में 24 फरवरी को संगम स्नान के बाद सफाईकर्मियों के पांव धुले थे. इस बार भी संगम स्नान के साथ पीएम मोदी ने मां गंगा की पूजा-अर्चना की.
बीजेपी खुलकर हिंदुत्व की राजनीति करती रही है. पीएम मोदी से लेकर सीएम योगी सहित बीजेपी के तमाम नेता हिंदुत्व की राजनीति करने से भी परहेज नहीं करते. राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो पीएम मोदी के महाकुंभ में जाने और संगम स्नान का सीधा असर दिल्ली के फ्लोटिंग वोटर्स पर पड़ेगा.
यही बीजेपी की रणनीति भी है, क्योंकि, फ्लोटिंग वोटर्स के बीच पीएम मोदी की अच्छी पैठ मानी जाती है और वे चुनाव परिणाम बीजेपी के पक्ष में कराने की ताकत भी रखते हैं. पीएम मोदी के महाकुंभ से बीजेपी के कोर वोटर्स का भी मनोबल बढ़ेगा, जो वोटिंग टर्न आउट को बढ़ा सकता है.
राहुल गांधी का सामाजिक न्याय पर फोकस
राहुल गांधी लगातार दलित, पिछड़े और आदिवासी समुदाय के हिस्सेदारी की बात उठा रहे हैं. सामाजिक न्याय के नारे का एजेंडा सेट करते हुए राहुल गांधी संसद से सड़क तक नजर आते हैं. राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान राहुल गांधी ने लोकसभा में एक बार फिर से जातीय जनगणना का मुद्दा उठाया था और आज बुधवार को पटना में पहुंच रहे हैं. राहुल का एक महीने में दूसरा बिहार दौरा है, जिसके सियासी मायने को समझा जसका है.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी अनुसूचित जाति के पासी समाज से आने वाले जगलाल चौधरी की 130वीं जयंती में भाग लेने के लिए पहुंचे हैं. बिहार में पासी समाज के बीच जगलाल चौधरी की मजबूत पहचान रही है. आजादी से पहले वह प्रांतीय सरकार में मंत्री हुआ करते थे, आजादी के आंदोलन में उनकी अहम भूमिका रही. बिहार में बड़ी संख्या में पासी वोटर्स हैं, जिन पर कांग्रेस की नजर है. राहुल गांधी लगातार दलित और पिछड़े वर्ग को साधने में लगे हैं. बिहार में साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसके चलते राहुल का एक महीने में दूसरे बिहार दौरे के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं.
राहुल गांधी सामाजिक न्याय के मुद्दे पर 18 जनवरी को संविधान की रक्षा के विषय पर रखे गए कार्यक्रम में शिरकत किए थे. इस दौरान राहुल ने दलित और पिछड़ी जाति के लिए काम करने वाले संगठनों से मुलाकात की थी. राहुल गांधी आरक्षण के 50 फीसदी वाले बैरियर को भी तोड़ने का वादा कर चुके हैं. इस तरह माना जा रहा है कि वह जगलाल चौधरी की जयंती में शिरकत कर सामाजिक न्याय की लड़ाई को मजबूती से लड़ने का हुंकार भर सकते हैं.
बीजेपी और कांग्रेस में शह-मात का खेल
बीजेपी और कांग्रेस के बीच शह-मात का खेल लोकसभा चुनाव के दौरान से ही चल रहा है. बीजेपी हिंदुत्व का एजेंडा सेट कर सनातन की डोर से बांधे रखने की रणनीति पर काम कर रही है जबकि विपक्ष अनुसूचित जाति और ओबीसी वोट खींचने की रणनीति को सफल करने में जुटी है. ऐसे में पीएम मोदी का कुंभ दौरा हो या फिर संगम में डुबकी लगाने का, उसके पीछे सियासी मायने हैं. दिल्ली चुनाव के लिहाज से देंखें तो भी बीजेपी की स्टैटेजी हिंदुत्वों को एकजुट करने की है.
कांग्रेस का पूरा फोकस अपने खोए सियासी आधार को हासिल करने की है, जिसके लिए राहुल गांधी लगातार जातिगत जनगणना से लेकर सामाजिक न्याय और आरक्षण के 50 फीसदी बैरियर को तोड़ने की बात करते हैं. इसके लिए वह यह भी स्वीकार करते हैं कि कांग्रेस दलित और ओबीसी को उनकी हिस्सेदारी नहीं दे सकी. इस कड़ी में देशभर में घूम-घूमकर राहुल सामाजिक न्याय के एजेंडे को सेट कर रहे हैं, जिसके लिए अब उन्होंने बिहार पर खास फोकस किया है.