कहने को एक-दूसरे के दुश्मन हैं, एक दूसरे के प्रोडक्ट बैन हैं, लेकिन एजुकेशन सिस्टम के लिए एक देश दूसरे दुश्मन देश की मदद ले रहा है. यह देश के उत्तर कोरिया जो हायर एजुकेशन के लिए अमेरिका में बनी जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस एआई सेवा चैट जीपीटी का प्रयोग कर रहा है. उत्तर कोरियाई समाचार एजेंसी ने खुद इस बात का खुलासा किया है.
समाचार एजेंसी के मुताबिक वॉयर ऑफ कोरिया ने एक रिपोर्ट में दावा किया है कि प्योंगयांग के किम इल सुंग विश्वविद्यालय में एआई शोध संस्थान के सदस्यों को चैटजीपीटी का प्रयोग करते देखा गया. हालांकि उत्तर कोरिया में प्रतिबंधित इंटरनेट एक्सेस को देखते हुए रिपोर्ट में ये स्पष्ट नहीं है कि छात्रों के पास ChatGPT तक सीधी पहुंच है या नहीं.
क्या है ChatGPT, कैसे करता है छात्रों की मदद
यह एक AI प्लेटफॉर्म है, जो एजुकेशन में काम आ सकती है. दरअसल यह बहुत सारे डेटा पर आधारित है, जो जरूरत पड़ने पर छात्रों की मदद कर सकता है. यह सुविधानुसार लेसन बना सकता है और किसी भी अध्याय या टॉपिक के बारे में जानकारी दे सकता है. यह एक मजबूत भाषा मॉडल होने की वजह से कई रूपों में छात्रों की मदद कर सकता है. यह निबंध और पेपर लिखने से लेकर किसी लिखे हुए टॉपिक को सारांशित कर सकता है. इसके अलावा अध्ययन गाइड बनाने में भी मदद कर सकता है.
नॉर्थ कोरिया ने लगाया है बैन
ChatGPT पर कई देश पहले ही बैन लगा चुके हैं, इनमें नॉर्थ कोरिया भी शामिल था, हालांकि अब यहां के विश्वविद्यालय में इसको पढ़ाए जाने की खबर से एक बार फिर बहस शुरू हो गई है. दरअसल चीन समेत कई देशों का ये कहना है कि ChatGPT के माध्मय से गलत जानकारियां फैलाई जा सकती हैं. खास तौर से चीन का मानना है कि ChatGPT की मदद से अमेरिका पूरी दुनिया में गलत जानकारी फैला सकता है.
कोरियन रिपोर्ट में कही गई ये बात
किम इल सुंग विवि के एक शोधकर्ता हान चोल जिन के हवाले से रिपोर्ट में लिखा गया है कि चैट जीपीटी का प्रयोग छात्रों को उन्नत तकनीक समझाने के लिए और इसे घरेलू उपयोग के लिए तैयार करने पर निर्भर है. हालांकि ये तब है जब हाल ही जापान में नॉर्थ कोरिया समर्थित अखबार ने AI के विकास और चीन के डीपसीक को लेकर चिंताओं और प्रतिबंधों पर रिपोर्ट प्रकाशित की है. कोरियन रिपोर्ट में ये कहा गया है कि चीन ने कई उन्नत तकनीकों के अलावा ही ChatGPT की तुलना में कम लागत वाला AI मॉडल विकसित किया है. इसी रिपोर्ट में ये भी दावा किया गया है कि OpenAI ने उन सभी उपयोगकर्ताओं पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिन्होंने उत्तर कोरिया से जुड़ी भ्रामक जानकारी को AI के जरिए जनरेट किया.