राजस्थान विधानसभा में पेश धर्मांतरण विधेयक क्या है, लागू करने के क्या होंगे मायने?

R. S. Mehta
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राजस्थान में 16 साल बाद एक बार फिर धर्मांतरण विरोधी बिल पेश किया गया है. पिछली वसुंधरा राजे सरकार की 2 नाकाम कोशिशों के बाद भजनलाल सरकार ने राजस्थान विधानसभा के बजट सत्र में पेश किया है. हालांकि, पूरे बिल में कहीं भी ‘लव जिहाद’ शब्द का जिक्र नहीं है, लेकिन एक्सपर्ट्स की मानें तो बिल का भाव यही है. विधानसभा में पेश किए गए इस बिल में जबरन, धमकाकर, बहला-फुसलाकर, धोखे या अन्य किसी तरह का लालच देकर धर्म परिवर्तन करवानों के खिलाफ सख्त प्रावधान किए गए हैं. अब यह गैर जमानती अपराध माना जाएगा.

इस विधेयक के तहत कोई व्यक्ति अगर धर्म परिवर्तन कराएगा या विवाह करता है तो न्यायालय सुनवाई के बाद उसे अमान्य घोषित कर सकता है.इस बिल में प्रावधानों के जरिए केवल लव जेहाद पर ही निशाना नहीं साधा है. बल्कि अनुसूचित जाति या आदिवासी व्यक्ति का भी धर्म परिवर्तन करवाने के मामले में 10 साल तक की सजा और 2 लाख तक के जुर्माने का प्रावधान है. नाबालिग के मामले में भी यही प्रावधान है. यदि धर्म परिवर्तन का पीड़ित कोई बालिग व्यक्ति होगा तो सजा आधी यानी 5 साल तक की हो सकती है, वहीं जुर्माना 1 लाख रुपए तक का हो सकता है.

पहले धर्म परिवर्तन के खिलाफ परिजन ही FIR करा सकते थे. अब इस बिल में दायरा बढ़ा दिया है. अब रिश्तेदार भी संबंधित के खिलाफ मामला दर्ज करवा सकते हैं. इसके तहत पीड़ित के चाचा-चाची, मामा-मामी, बुआ-फूफा जैसे रिश्तेदार भी FIR दर्ज करा सकेंगे.

धर्म परिवर्तन के पहले सहमति और कलेक्टर को सूचना जरूरी

बिल में सहमति से धर्म परिवर्तन करने से पहले और धर्म परिवर्तन करने के बाद कलेक्टर को तय समय सीमा में जानकारी देना जरूरी है. बिना जानकारी दिए धर्म परिवर्तन करने पर विभिन्न धाराओं में 6 महीने से लेकर 5 साल तक की सजा हो सकती है. 25 हजार रुपए तक का जुर्माना भी लग सकता है. इसके अलावा एक प्रावधान और है. इसमें यदि किसी ने धर्म परिवर्तन कर लिया है तो धर्म परिवर्तन के 60 दिन के भीतर संबंधित जिला कलेक्टर को सूचना देनी होगी.

अगर प्रशासन संतुष्ट होगा तो कोई परेशानी नहीं

धर्म परिवर्तन से पहले या बाद में सूचना देने पर दोनों ही तरह के मामलों में कलेक्टर जानकारी हासिल करेंगे कि धर्म परिवर्तन की प्रक्रिया या प्रकृति कैसी रही. यदि प्रशासन संतुष्ट होगा तो कोई परेशानी नहीं. वहीं यदि प्रक्रिया या धर्म परिवर्तन करने की प्रकृति में खोट पाया गया तो कलेक्टर ऐसे परिवर्तन को अवैध घोषित कर सकते है. ऐसे में धर्म परिवर्तन कराने वालों के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है.

शादी के बाद जबरन धर्म परिवर्तन होने पर रद्द हो सकती है शादी

शादी होने के बाद अगर कोई धर्म परिवर्तन करने के लिए धमकाता है या जबरदस्ती करता है तो बिल के सजा और जुर्माने के सभी प्रावधान लागू होंगे. शादी को भी रद्द किया जा सकेगा. पीड़ित के अलावा यदि परिजनों या रिश्तेदारों को जबरन या धमकाकर धर्म परिवर्तन के प्रयास की जानकारी मिलती है तो वे भी FIR दर्ज करवा सकते हैं. पुलिस जांच में दोषी पाए जाने पर धर्म परिवर्तन का दबाव डालने वाले के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो सकती है.

7 राज्यों में कानून

अभी गुजरात, झारखंड, ओडिशा, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश और छत्तीसगढ़ में इसके लिए कानून हैं. पहले तमिलनाडु में भी था, लेकिन 2003 में इसे निरस्त कर दिया गया. हिमाचल और उत्तराखंड में 5 साल तक कैद की सजा का प्रावधान है. SC-ST और नाबालिग के मामले में ये सजा 7 साल की है. उत्तर प्रदेश में भी इसके लिए कानून बन चुका है. इसका अध्यादेश पिछले महीने ही कैबिनेट में पास हुआ है. इस कानून में जबरन धर्म परिवर्तन करने पर 10 साल तक की सजा का प्रावधान है.

धर्म परिवर्तन करने वाले को स्वयं साबित करनी होगी बेगुनाही

बिल के प्रावधानों के तहत धर्म परिवर्तन करने वाले को बेगुनाही खुद साबित करनी होगी. यानी बर्डन ऑफ प्रूफ आरोपी के ऊपर ही रहेगा. वहीं जबरन या लालच देकर यदि धर्म परिवर्तन के मामले में किसी संस्था को दोषी पाया गया, तो उसका रजिस्ट्रेशन रद्द किया जा सकता है.

वसुंधरा ने भी ने किए थे दो बार प्रयास

वसुंधरा राजे सरकार ने 2006 और 2008 में धर्म स्वतंत्र बिल के नाम से ऐसा ही बिल पेश किया था. यह बिल सदन में पास भी हो गया था. उस समय केंद्र में यूपीए सरकार होने के कारण ये बिल कानूनी रूप नहीं ले पाया था. 2006 में वसुंधरा राजे सरकार के इस बिल को सदन ने तो पास कर दिया था मगर तत्कालीन राज्यपाल प्रतिभा पाटिल ने आपत्तियां जता कर लौटा दिया था. वहीं, 2008 में फिर ये बिल सदन में पास हुआ. राज्यपाल ने जब राष्ट्रपति को भेज दिया गया, फिर यह बिल गृह मंत्रालय में अटक गया.

वसुंधरा सरकार के बिल में 1 से 5 साल तक की सजा और 25 से 50 हजार रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान था. वहीं, गैर कानूनी धर्म परिवर्तन करने में लिप्त पाई जाने वाली संस्था का रजिस्ट्रेशन भी रद्द किया जा सकता था. राजे सरकार के बिल में सहमति से धर्म परिवर्तन की सूचना कलेक्टर को 30 दिन पहले देने के प्रावधान था. ऐसा नहीं करने पर हजार रुपए जुर्माने का प्रावधान था.

भजनलाल सरकार के धर्मांतरण विरोधी बिल में वसुंधरा राजे सरकार के समय आए बिल से भी सख्त प्रावधान किए हैं. ताजा बिल में सजा और जुर्माने दोगुना तक कर दिए हैं. वहीं अब राज्य और केंद्र दोनों में ही बीजेपी की सरकार होने के कारण इस बिल पर बहस के बाद पारित होने की संभावना बढ़ गई है। इस बिल को कानून बनाने की प्रक्रिया में राज्य को केंद्र से पूरा सहयोग मिलेगा।

आगे क्या होगा?

भजनलाल शर्मा सरकार की आज होने वाली कैबिनेट की बैठक में बिल पास होने के बाद विधानसभा में अब इस बिल पर बहस शुरू होगी. ये बिल सदन से पास होकर राज्यपाल के पास भेज दिया जाएगा. इसके बाद राज्यपाल इसे स्वीकार करने के बाद राष्ट्रपति के पास भेजसकते हैं. राष्ट्रपति से स्वीकृति मिलने के बाद ये बिल कानून बन सकता है.

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