हाल ही में बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद के ससुर डॉ. अशोक सिद्धार्थ को पार्टी से बाहर निकाल दिया. इसके बाद बहुजन समाजवादी पार्टी में इन दिनों सियासी घमासान छिड़ा हुआ है. पार्टी से निष्कासित करने के बाद मायावती ने कहा गुटबाजी और पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के कारण उन्हें पार्टी से निकाला गया. इस घटना के करीब चार दिन बाद मायावती ने एक के बाद एक ट्वीट करके इशारों ही इशारों में बिना नाम लिए अशोक सिद्धार्थ पर निशाना साधा है.
मायावती ने कहा कि बसपा देश में बाबा साहेब डॉ भीमराव आंबेडकर के मानवतावादी आत्म-सम्मान व स्वाभिमान के कारवां को सत्ता तक पहुंचाया. कांशीराम जी ने सब कुछ त्यागकर जो पार्टी स्थापित की उसमें स्वार्थ, रिश्ते-नाते आदि महत्वहीन है. पार्टी में बहुजन-हित ही सर्वोपरि है. कांशीराम जी की शिष्या व उत्तराधिकारी होने के नाते उनके पदचिन्हों पर चलते हुए मैं भी अपनी आखिरी सांस तक हर कुर्बानी देकर संघर्ष जारी रखूंगी ताकि बहुजन समाज के लोग राजनीतिक गुलामी व सामाजिक लाचारी के जीवन से मुक्त होकर अपने पैरों पर खड़े हो सकें.
मायावती ने आगे कहा कि कांशीराम जी की तरह ही मेरे जीतेजी भी पार्टी व मूवमेंट का कोई भी वास्तविक उत्तराधिकारी तभी जब वह भी, कांशीराम जी के अन्तिम सांस तक उनकी शिष्या की तरह, पार्टी व मूवमेन्ट को हर दुःख-तकलीफ उठाकर, उसे आगे बढ़ाने में पूरे जी-जान से लगातार लगा रहे. इसके साथ ही, देश भर में बीएसपी के छोटे-बड़े सभी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को पार्टी प्रमुख के दिए दायित्व के प्रति पूरी निष्ठा और ईमानदारी से जवाबदेह होकर पूरे तन, मन, धन से लगातार काम करते रहना जरूरी है.
2022 तक अशोक राज्यसभा सांसद थे
इसी जिम्मेदारी के साथ खासकर कैडर के बल पर, ज़मीनी स्तर पर पार्टी संगठन की मजबूती और सर्वसमाज में जनाधार को बढ़ाने के साथ ही आगे भी हर चुनाव की तैयारी में पूरी दमदारी के साथ लगना है ताकि बहुजन समाज की एकमात्र आशा की किरण बीएसपी को अपेक्षित सफलता मिल सके. अशोक सिद्धार्थ पहले एमएलसी थे. 2016 में उन्हें राज्यसभा भेजा गया था. 2022 तक वो राज्यसभा सांसद थे. गुटबाजी को लेकर मायावती ये बड़ा एक्शन लिया है. मेरठ के निति सिंह भी बसपा से निष्कासित किए गए हैं.